feel better to be an indiblogger

Monday, 1 July 2013

WAQT MERA AZAAD NAHI HAI

रात को चाँद दिखाना मत !

दर्द हो अब गहरा कितना भी,
पर जख्म कभी दिखलाना मत।
चुपकर दिल को बहला लेना,
पर गीत कोई अब गाना मत।

जीवन की अँधेरी गलियों में,
बीती  यादों से टकराना मत।
दिन में तारें बहुत दिखे है,
रात को चाँद दिखाना मत।

अक्स तेरा तुझसे शरमाये,
कुछ करने से शर्माना मत।
नापाक हो अब कितना भी दामन,
मंदिर-मस्जिद जाना मत।

मौत की धुन पर सुलाकर जाना,
पर जीवन-राग सुनाना मत।
झूठ में चैन मिला है दिल को,
दिल तोड़के सच कह जाना मत।

1 comment:

  1. "napak ho ab kitna bhi daman, mandir masjid jana mat"... achha laga.

    ReplyDelete